वाहवा क्या खेल रचाया है तेरा भेद किसी नहि पाया है ॥ टेक ॥
कहीं राजा है कहीं रानी है कहीं योगी पंडित ज्ञानी है
कहीं वैद्य ज्योतिषी दानी है कहीं तापस वेष धराया है ॥ १
कहीं गुरुनानक कहीं चेला है कहीं नरनारी का मेला है
कहीं बैठा आप अकेला है कहींकायर शूर कहाया है ॥ २
कहीं पशुपक्षी जलचारी है कहींदेव दैत्य तनधारी है
कहीं स्वर्ग पताल बिहारी है कहीं भूतल बीच बसाया है ॥ ३
कहीं भाई बंधु सुत नाती है कहींनीच ऊंच कुलजाती है
ब्रम्हानंद कहींदिनराती है घटघट में आप समाया है ॥ ४