दुख भंजनु तेरा नामु जी दुख भंजनु तेरा नामु ।।
आठ पहर आराधियै पूरन सतिगुर गिआनु ।। १ ।। रहाउ ।।
जितु घटी वसै पारब्रहमु सोई सुहावा थाउ ।।
जम कंकरु नेड़ि न आवही रसना हरि गुण गाउ ।। १ ।।
सेवा सुरति न जानिआ ना आपै आराधि ।।
ओट तेरी जगजीवना मेरे ठाकुर अगम अगाधि ।। २ ।।
भए किरपाल गुसाइआ नठे सोग संताप ।।
तती वाऊ न लगई सतिगुरु रखे आपि ।। ३ ।।
गुरु नारायणु देयु गुरु गुरु सचा सिरजणहारु ।।
गुरि तुठे सब किछ पाइआ जन नानक सद बलिहार ।। ४ ।।