ईभै बीठलु, ऊभै बीठलु, बीठल बिनु संसारु नही।।
थान थनंतरि नामा प्रणवै, पूरि रहिओ तूं सरब मही।।

1. आनीले कुंभ भराईले ऊदक, ठाकुर कउ इसनानु करउ।।
बइआलीस लख जी जल महि होते, बीठलु भैला काइ करउ।।

2. जत्र जाउ तत बीठलु भैला।।
महा अनंद करे सद केला।।

3. आनीले फूल परोईले माला, ठाकुर की हउ पूज करउ।।
पहिले बासु लई है भवरह, बीठल भैला काइ करउ।।

4. आनीले दूधु रीधाईले खीरं, ठाकुर कउ नैवेदु करउ।।
पहिले दूधु बिटारिओ बछरै, बीठलु भैला काइ करउ।।