इसु ग्रिह महि कोई जागतु रहै।।
साबतु वसतु ओहु अपनी लहै।।

1. नैनहु नीद परद्रिसटि विकार।। स्रवण सोए सुणि निंद वीचार।।
रसना सोई लोभि मीठै सादि।। मनु सोइआ माइआ बिसमादि।।

2. सगल सहेली अपनै रस माती।। ग्रिह अपुने की खबरि न जाती।।
मुसनहार पंच बटवारे सूने नगरि परे ठगहारे।।

3. उन ते राखै बापु न माई।। उन ते राखै मीतु न भाई।।
दरबि सिआणप ना ओइ रहते।। साध संगि ओइ दुसट वसि होते।।

4. करि किरपा मोहि सारिंगपाणि।। संतन धूरि सरब निधान।।
साबतु पूंजी सतिगुर संगि।। नानकु जागै पारब्रहम कै रंगि।।

5. सो जागै जिसु प्रभु किरपालु।। इह पूंजी साबतु धनु मालु।।