कलि तारणि गुरु नानक आइआ।।
सुणी पुकारि दातार प्रभु, गुरु नानक जग माहि पठाइआ।।
चरन धोइ रहरासि करि, चरणाम्रितु सिखां पीलाइआ।।
पारब्रहम पूरन ब्रहम, कलिजुग अंदरि इक दिखाइआ।।
चारे पैर धरम दे, चारि वरन इक वरनु कराइआ।।
राणा रंक बराबरी, पैरी पवणा जगि वरताइआ।।
उलटा खेलु पिरंम दा, पैरा उपरि सीसु निवाइआ।।
कलिजुगु बाबे तारिआ, सतिनामु पडि़ मंत्र सुणाइआ।।