सतिगुर की सेवा सफलु है, जे को करे चितु लाइ।।
मनि चिंदिआ फलु पावणा, हउमै विचहु जाइ।।

बंधन तोड़ै मुकति होइ, सचे रहै समाइ।।
इसु जग महि नामु अलभु है, गुरमुखि वसै मनि आइ।।

नानक जो गुरु सेवहि आपणा, हउ तिन बलिहारै जाउ।।