सुणि नाह प्रभू जीउ, एकलड़ी बन माहे।।
किउ धीरैगी नाह बिना, प्रभ वेपरवाहे।।

1. धन नाह बाझहु रहि न साकै, बिखम रैणि घणेरीआ।।
नह नीद आवै प्रेमु भावै, सुणि बेनंती मेरीआ।।

2. बाझहु पिआरे कोइ न सारे, एकलड़ी कुरलाए।।
नानक सा धन मिलै मिलाई, बिन प्रीतम दुखु पाए।।