चलती चक्की देख दिया मैं रोय है,
पीस गया संसार बचा न कोय है।
अधबीचे में पड़ा कोउ ना नीर बहा, अरे हो पलटू!
बचेगा कोई संत जो खूटे लग रहा।
1. माया और बैराग दोउ में बैर है,
लिए कुल्हारी हाथ मारता पैर है,
किया चाहे बैराग माया में जायेगा, अरे हो पलटू!
जो कोई माहुर खाए हाय मर जाएगा।
2. केतक युग गए बीत माया के फेरते,
छाला पड़ गई जीभ राम के टेरते,
माला दीजे डार मने को फेरना, अरे हो पलटू!
करके साचा प्यार प्रभु को घेरना।
3. सुपना ये संसार लागता आई के,
चले जुआ में हार मानुष तन पाई के,
देखत सोना लगे सकल जग कांच है, अरे हो पलटू!
जीवन कहिये झूठ तो मरना साँच है।
4. आसान दृढ़ होए रहे जगत से हारना,
निद्रा बस में करे भूख को मारना,
काम क्रोध को मार आप को खोवना, अरे हो पलटू!
पाँव पसारे यार मौज से सोवना।