हर हर हर हर शिव शम्भो।
भोलानाथ कृपालु दयामय औघड़दानी शिव योगी।
हर हर शम्भो, हर हर शम्भो।
1. निमिष मात्र में देते हैं
नवनिधि मनमानी शिव योगी।
सरल हृदय अति करुणासागर
अकथ कहानी शिव योगी ।।
2. भक्तों पर सर्वस्व लुटाकर बने मसानी शिव योगी
स्वयं अकिंचन जन मन रंजन पर शिव उदार हरे ।।
पार्वती हर हर शम्भो पाहि पाहि दातार हरे।
शिव शम्भो, शिव शम्भो।
3. आशुतोष इस मोह माई निद्रा से मुझे जगा देना।
विश्व वेदना से विषयों की, मायाधीश छुड़ा देना ।
रूप सुधा की एक बूँद से जीवन मुक्त बना देना।
दिव्य ज्ञान भण्डार युगल चरण की लगन लगा देना।
शिव शम्भो, शिव शम्भो।
4. दानी हो तुम भिक्षा दे दो
अपनी अनुपायिनी भक्ति दे दो।
एक बार इस मन मंदिर में दाता अपना दर्शन दे दो
शिव शम्भो, शिव शम्भो।