जाहर पीरु जगत गुर बाबा। ।
गंग बनारस हिंदूआ, मुसलमाणा मका काबा।
घरि घरि बाबा गावीऐ, वजनि ताल म्रिदंगु रबाबा।
भगति वछलि होइ आइआ, पतित उधारणु, अजबु अजबा।
चारि वरन इक वरन होइ, साध संगत मिलि होइ तराबा।
चनदनु वासु वणासपति, अवलि दोम न सेम खराबा।
हुकमै अंदरि सभ को, कुदरति किस दी करै जवाबा।