क्या पेश करूँ सद्गुरु, कोई चीज़ नहीं है
दिल ही मेरा ले लो, तजवीज़ यही है |
1. औक़ात है क्या मेरी, तू शाहों का है शाह
मैं अदना सा इक आशिक़, तू मालिक है मेरा
महिमा तेरी क्या गाऊँ, अलफ़ाज़ नहीं है |
2. घायल किया जहान ने, तू मरहम लगाता रहा
समझा न कृपा तेरी, मैं भटकता रहा
आख़िर हूँ दर पे आया, तो चली पेश नहीं है |
3. मन मेरा पागल, करता रहा जुदा
समझा न ज्ञान तेरा, हुई मुझसे ये ख़ता
नज़र-ए-करम कर दो, फ़रियाद यही है |