प्यारे प्रीत लगी तेरे संग वे,
मैनूं चाढ़ दे अपना रंग वे।
1. तू बने दीपक मैं बनां ज्योति, तेरी मेरी प्रीत घनी होती,
रंग चढ़या अंग-अंग वे।
2. दासी तेरी प्रभु अर्ज़ गुजारे, सब कुछ है मेरा तेरे हवाले,
तू वसदा हैं तन-मन वे।
3. मैं बनां चातक तू बूँद स्वाति, सुमिरन तेरा देवे शांति,
छड्डी न मेरा संग वे।
4. तू बने बादल मैं बनां मोरा, तू होव चाँद ते मैं बनां चकोरा।
मेरी प्रीत विच पावीं न भांग वे।