अब मैं भूला रे भाई , मेरे सतगुरु जुगत लखाई ।।
रिया कर्म आचार मैं छाँड़ा , छाँड़ा तीर्थ नहाना ।
सारी दुनिया भई सयानी , मैं ही एक दीवाना ॥
ना हरि रीझैं जप तप कीन्हें , ना काया के जारे ।
ना हरि रीझैं धोती छाँड़े , ना पाँचों के मारे ॥
दया राखि धर्म को पाले , जग सो रहे उदासी ।
अपना सा जीव सबको जाने , ताहि मिले अविनाशी ॥
सहे कुशब्द बाद को त्यागे , छाड़े गर्व गुमाना ।
आतमराम ताहि को मिलिहैं , कहैं कबीर सुजाना ॥
Ab mein bhula re bhai, mere sataguru jugat lakhai॥
1.kriya karma achar mein chhanda, chhanda tirtha nahana॥
2. Sari duniya bhai sayani, mein hi ek divana॥
3. Na Hari rijhein jap tap kinhein, na kaya ke jare॥
4. Na Hari rijhein dhoti chhande, na panchoan ke mare॥
5. Daya rakhi dharma ko pale, jag so rahe udasi॥
6. Apana sa jeev sabko jane, tahi mile avinashi॥
7. Sahe kushabda baad ko tyage, chhade garv gumana॥
8. Atamaram tahi ko milihein, kahein kabir sujana॥