अमीरस भंवरा चाख लिया ॥ टेक
जाके घट में प्रेम प्रकाशा, सो बिरहिन क्यों बारु दिया ॥ १
अंत न जाय अपन घट खोजे, सो बिरहिन निज पाव पिया ॥ २
पाँव पलक में तस्कर मारूँ, गुरु अपने को साख दिया ॥ ३
कहैं कबीर सुनो भाई साधो, जियते यह तन जीत लिया ॥ ४
Amiras bhanvara chaakh liya ॥ ṭek
Jake ghat mein prem prakash, so birahin kyon baru diya ॥ 1
Anta na jay apan ghat khoje, so birahin nij pav piya ॥ 2
Pav palak mein taskar marun, guru apane ko saakh diya ॥ 3
Kahein kabir suno bhai sadho, jiyate yah tan jeet liya ॥ 4