ई चुनरी तोहे सतगुरु दीन्हा, पहिर ओढ़कर मैली कीन्हा।
जैबो का पहिर गोरी पिया संग माँ, चुनरी काहे न -----। १

जब पिया अइहैं लेन गवनवा, एकौ न चलिहै तोरा बहनवा।
दाग दिखिहैं तोरे अँचरन माँ, चुनरी काहे न -----। २

कहत कबीर सुनो भाई साधो, ज्ञान ध्यान का साबुन लाओ।
दाग छुटिहैं तोरे अँचरन का, चुनरी काहे न -----। ३