देह तो देख मिलि जायगी खेह में, देह से काज कुछ कीजिये रे । १
राम का भजन औ गुरु की बंदगी, देह धरि लाभ यह लीजिये । २
चालती कौड़ियाँ काज भल कीजिए, कौड़ियाँ साथ कुछ नाहिं जाई । ३
प्राण के छूटते पलक नहिं यार की, कहैं कबीर सुन चेत लाई । ४
Deh to dekh mili jayegi khey mein, deh se kaaj kucch kijiye re | 1
Raam ka bhajan au guru ki bandagi, dehi dhari laabh yeh lijiye | 2
Chaalti kaudiyaan kaaj bhal kijiye, kaudiyaan saath kachhu naahin jaayi | 3
Praan ke chhootte palak nahin yaar ki, kahain kabir sun chhet laayi