घर लूटै हमार दुपहरिया मा। टेक
लगाय उड़ाही पाँच जन बैठे,धूम मचावै कोठरिया मा। १

पूँजी गँवावत रैन सारी बीत गई, सूझे न ऐसे अन्धेरिया मा। २

भये पछलहारा चोर सब भागे, चितवैं ठाड़ डगरिया मा। ३

कहैं कबीर सुनो भाई साधो, बैठा रोवैं दुवरिया मा। ४