जागो रे नर सोवहु कहा, जम बटवारे रूँधै एहा । टेक
जागि चेति कछु करौ उपाई , मोटा बैरी है जमराई । १

सेत काग आये बन माहीं , अजहुँ रे नर चेते नाहीं । २

कहैं कबीर तबे नर जागे , जम का डंड मूड़ पर लागे । ३