जातू रे दिन हीं दिन, करि ले बौरी स्नेहा। टेक
बालापन गयो जोबन जैसी, जरा मरण भी संकट आसी। १

पलटे केस नैन जल छाया, मूरख चेति बुढ़ापा आया। २

राम कहत लज्जा क्यों कीजै, पल पल आयु घटे तन छीजै । ३

लज्जा कहे हूँ जम की दासी, एकै हाथ मुदिगर दूजै पासी। ४

कहैं कबीर तिनहुँ सब हारा, राम नाम जिनि मनहु बिसारा। ५