जब लग खोजत चला जावै, तब लग नहिं हाथ मुद्दा आवै। १

जहाँ खोज थकै तहाँ ही घर करै, वहाँ घर को पकड़ि बैठि जावै। २

थकित रहै जब दिल सेरी, तब आगे चलना नहिं भावै। ३

कबीर मुद्दा हासिल हुआ, बातन से नहिं कोई महल पावै। ४

तन महजीद मन मुलना बसै, चित्त से चौतरा बंग देवै। ५

पाँच को जेर पचीस को जिबह कर, तत की तसबी हाथ लेवै। ६

मेहर को देख के कहर को खोइ के, इस भांति मेहर तें कहर खोवै। ७

कहैं कबीर सोइ संत जन जौहरी, आप साहिब आसिक होवै। ८