का करै नमाज बाय बिगड़ी। टेक
लोहरा के घर छुरी बनावै, काटैं गरदन हलाल करैं बकरी। १
गर्दन काटैं दया नहिं आवै, चट काटैं पट खींच लेव चमड़ी। २
घर में जाय मशाला पिसवावैं, दोनों प्राणी बैठि खाय संघरी। ३
तीस रोज मियाँ रोजा रहत हैं, मारैं मुरगी तीस रोजा बिसरी। ४
कहैं कबीर सुनो भाई साधो, बिना रहम मानुष कब सुधरी। ५