काहे कूं माया करि जोरी। हाथि चूंन गज पाँच पछेवरी। १ 

ना को  बंधु  न भाई  साथी, बाँधे रहे तुरंगम हाथी। २ 

मैंडी महल बावड़ी छाजा, छाड़ि गये सब भूपति राजा। ३ 

कहैं कबीर राम लौ लाई, धरी  रही माया काहु खाई। ४