केते दिन को उठाये ठाट। टेक 

जौन यतन तुम देही पाली, सो देही मिली माटी खाक। १ 

मर मर जइहो फिर फिर अइहो, कर लो सौदा येही हाट। २ 

प्राण  पखेरू  नगर  है काया, ना जानो जाये किहि बाट। ३ 

कहैं कबीर सुनो भाई साधो, तब का करि हो कागज़ फाट। ४