कुमतिया दारुण नितहिं लरै। टेक
सुमति कुमतिया दूनों बहिनी, कुमति देखि कै सुमति डरै। १
औषध लागे न दुवा लागे, घूमि घूमि जस बिच्छू चढ़ै। २
कितना कहौं कहा नहिं मानै, लाख जीव नित भच्छ करै। ३
कहैं कबीर सुनो भाई साधो, यह विष संत के झारै झरै। ४
कुमतिया दारुण नितहिं लरै। टेक
सुमति कुमतिया दूनों बहिनी, कुमति देखि कै सुमति डरै। १
औषध लागे न दुवा लागे, घूमि घूमि जस बिच्छू चढ़ै। २
कितना कहौं कहा नहिं मानै, लाख जीव नित भच्छ करै। ३
कहैं कबीर सुनो भाई साधो, यह विष संत के झारै झरै। ४