क्या देखि दिवाना हुआ रे। टेक
माया सूली साज बनी है, काम नरक का कूआँ रे। १
हाड़ माँस मानव का पिंजर, तामें मनुवा सूवा रे। २
भाई बन्धु और कुटुम कबीला, तामें पचि पचि मूवा रे। ३
कहैं कबीर सुनो भाई साधो, हार चले जग जूवा रे। ४
क्या देखि दिवाना हुआ रे। टेक
माया सूली साज बनी है, काम नरक का कूआँ रे। १
हाड़ माँस मानव का पिंजर, तामें मनुवा सूवा रे। २
भाई बन्धु और कुटुम कबीला, तामें पचि पचि मूवा रे। ३
कहैं कबीर सुनो भाई साधो, हार चले जग जूवा रे। ४