तज दिये प्राण काया कैसी रोई । टेक
चलत प्राण काया कैसी रोई, छोड़ चला निर्मोही ।
मैं जानों मेरे संग चलेगी, या हित काया मैंने मल मल धोई । १
ऊंचे नीचे मंदिर छोड़े , गाय भैंस घर छोड़ी ।
तिरिया जो कुलवंती छोड़ी , और पुत्रन की जोड़ी । २
मोटी धोती गजी मंगाई , चढ़ा काठ की घोड़ी ।
चार जने तोहे ले के चाले , फूँक दिए जैसे होरी । ३
भोली तिरिया रोवन लागी , बिछुड़ गई मेरी जोड़ी ।
कहत कबीर सुनो भाई साधो, जिन जोड़ी तिन तोड़ी । ४