तेरे भवन घुसल कोइ चोर , पड़ोसिन जागु हो जागु । टेक
आवै पड़ोसिन जाय पड़ोसिन. जागत है सब कोय ।
पहरा वाला है मतवाला, रहे निशा में सोय । १

यही काया में दोय वस्तु है, एक साधु एक चोर ।
वही टहलवा वही पहरुवा, वही फिरे चहूँ ओर । २

आठ- आठ के ताला बनाये, कुंजी कठिन कठोर ।
कवन कदर के चोरवा पैठल, रतन हरि लै ले मोर । ३

कहैं कबीर सुनो भाई साधो , सो चले फंदा तोर । ४