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Govind
म्हारौ जन्म मरण का साथी थाणे नहिं बिसरूं दिन राति। बिन देख्यां नहिं चैन परत है...
मैंने लीन्हो री गोविन्द मोल। कोई कहे छाने कोई कहे चुपके लीयो री बजन्ता ढोल। कोई...
दीनानाथ रमापति भवदुख हमारा हरो रे ॥ टेक ॥ करमें चक्रसुदर्शन पकडो शीश किरीट धरो रे...
गोविंद मेरी यह प्रार्थना है भूलूं न मैं नाम कभी भी तुम्हारा। ये नाम तेरा मैं...