मोरी चुनरी में परि गयो दाग पिया।। पांच तत्व की बनी चुनरिया सोरह सै बंद लागे...

पानी में मीन पियासी मोहि सुन सुन आवत हाँसी।। आतमज्ञान बिना नर भटके कोई मथुरा कोई...

हंसा यह पिंजड़ा नहिं तेरा।। कंकड़ चुनचुन महल बनाया लोग कहैं घर मेरा। ना घर मेरा...

मानत नहिं मन मोरा साधो मानत नहिं मन मोरा। बार बार मैं कहि समुझावौं जग में...

वाह वाह गोबिंद सिंघ आपे गुरु चेला।। हरि सच्चे तखत रचाइआ सति संगति मेला।। नानक निरभउ...

मन रे प्रभ की सरनि बिचारो।। जिह सिमरत गनका सी उधरी ता को जसु उर धारो।।...

रे मन राम सिउ करि प्रीति।। स्रवन गोबिंद गुनु सुनहु अरु गाउ रसना गीति।। करि साधसंगति...

रे मन ऐसो कर संनिआसा।। बन से सदन सबै कर समझहु मन ही माहि उदासा।। जत...

मेरे साहिबा कउणु जाणै गुण तेरे।। कहे न जानी अउगण मेरे।। कत की माई बापु कत...

मन मेरिआ अंतरि तेरै निधानु है बाहरि वसतु न भालि।। जो भावै सो भुंचि तू गुरमुखि...

जाग लेहु रे मना जाग लेहु कहा गाफल सोइआ।। जो तनु उपजिआ संग ही सो भी...

मन की मन ही माहि रही।। ना हरि भजे न तीरथ सेवे चोटी कालि गही।। दारा...