ऐसो भरम बिगुर्चन भारी।  वेद कितेब दीन औ दोजख को पुरुषा को नारी। १  माटी का...

ऐसा कोई देखा मतवाला। टेक छाक चढ़ी बिसरी सुधा पिये प्रेम पियाला।  पिवते  ही  तन  बीसरी...

ऋतु   फागुन  नियरानी कोई  पिया  से   मिलावै । टेक  सोई सुंदर जाके पिय को...

अब कोई खेतिया मन लावै॥ ज्ञान कुदार ले बंजर गोड़े नाम को बीज बोवावे॥   सुरत...

नाम निरंजन गावो रे सब छोड भरमणा ॥ टेक ॥ नाम निरंजन सब दुखभंजन नही मन...

हरिनाम सुमर ले हरिनाम सुमरले हरिनाम सुमरले पछतायगा ॥ टेक ॥ मानुष काया दुर्लभ पाया पलक...

तेरी उमर बीती जाय रे प्रनिराम सुमर ले ॥ टेक ॥ बूंद बूंद टपकता रे ज्यों...

जो नामका परताप है तुमे याद होके न याद हो ॥ टेक ॥ जब दैत्य चाबुक...