रे मन ओट लेहु हरि नामा।। जा कै सिमरनि दुरमति नासै पावहि पदु निरबाना।। बडभागी तिह...

मानत नहिं मन मोरा साधो मानत नहिं मन मोरा। बार बार मैं कहि समुझावौं जग में...

वाह वाह गोबिंद सिंघ आपे गुरु चेला।। हरि सच्चे तखत रचाइआ सति संगति मेला।। नानक निरभउ...

मन रे प्रभ की सरनि बिचारो।। जिह सिमरत गनका सी उधरी ता को जसु उर धारो।।...

रे मन राम सिउ करि प्रीति।। स्रवन गोबिंद गुनु सुनहु अरु गाउ रसना गीति।। करि साधसंगति...

रे मन ऐसो कर संनिआसा।। बन से सदन सबै कर समझहु मन ही माहि उदासा।। जत...

मेरे साहिबा कउणु जाणै गुण तेरे।। कहे न जानी अउगण मेरे।। कत की माई बापु कत...

मन मेरिआ अंतरि तेरै निधानु है बाहरि वसतु न भालि।। जो भावै सो भुंचि तू गुरमुखि...

जाग लेहु रे मना जाग लेहु कहा गाफल सोइआ।। जो तनु उपजिआ संग ही सो भी...

मोकउ तूं न बिसारि तू न बिसारि।। तू न बिसारे रामईआ।। आलावंती इहु भ्रमु जो है...

भिंनी रैनड़ीऐ चमकनि तारे।। जागहि संत जना मेरे राम पिआरे।। राम पिआरे सदा जागहि नामु सिमरहि...

मानकु पाइओ रे पाइओ हरि पूरा पाइआ था।। मोलि अमोलु न पाइआ जाई करि किरपा गुरु...