ऐसी करी गुरुदेव कृपा मेरे मोह का बन्धन तोड़ दिया। मैं भटक रहा दिन रात सदा...

एक बूँद स्यों बुझ गयी जनमजनम की प्यास। प्रेम पंथ की पालकी रविदास बैठिया सांचे सांची...

ऊधो मुझे संत सदा अती प्यारे जा की महिमा वेद उचारे। मेरे कारण छोड़ जगत के...

इक अलफ़ पढ़ो छुटकारा ए।। इक अलफ़ों दो तिन चार होए फिर लख करोड़ हजार होए।...

अंधियारे दीपकु चहीऐ।। इक बसतु अगोचर लहीऐ।। बसतु अगोचर पाई।। घटि दीपकु रहिआ समाई। किआ पढ़ीऐ...