मुनिया पिंजड़े वाली ना तेरा सदगुरु है व्यापारी।। अलख डार पर मुनिया बैठी खाये ज्ञान की...

रहना है होशियार नगर में इक दिन चोरवा आवेगा।। तोप तीर तलवार न बरछी नाहीं बंदूक...

संतों सो उतरे भव पारा। मन की इच्छा सब ही त्यागे छाड़े विषय विकारा।। धीर गम्भीर...

मोरी चुनरी में परि गयो दाग पिया।। पांच तत्व की बनी चुनरिया सोरह सै बंद लागे...

पानी में मीन पियासी मोहि सुन सुन आवत हाँसी।। आतमज्ञान बिना नर भटके कोई मथुरा कोई...

हंसा यह पिंजड़ा नहिं तेरा।। कंकड़ चुनचुन महल बनाया लोग कहैं घर मेरा। ना घर मेरा...

जाग लेहु रे मना जाग लेहु कहा गाफल सोइआ।। जो तनु उपजिआ संग ही सो भी...

बहुत जनम बिछुरे थे माधउ इहु जनमु तुम्हारे लेखे।। कहि रविदास आस लगि जीवउ चिर भइओ...

पाती तोरै मालिनी पाती पाती जीउ।। जिसु पाहन कउ पाती तोरै सो पाहन निरजीउ।। भूली मालनी...

जो दिन आवहि सो दिन जाही।। करना कूचु रहनु थिरु नाही।। संगु चलत है हम भी...

आतम अनुभव सुख की का कोई बूझै बात। कै जो कोई जानई कै अपनो ही गात।।...

साधो सदगुरु संग रंग होली का खेलो। वैराग्य का साबुन मन को लगाओ धोवो मलमल के...