Kabir
सब दिन होत न एक समाना । टेक एक दिन राजा हरिश्चन्द्र गृह कंचन भरे खजाना...
सकल तजि राम सुमर मेरे भाई । माटी का तन मिलि हैं पवन में पवन समानी...
विज्ञानी सुन सतगुरु की बानी । जेहि प्रताप हम भये विरागी त्यागि सकल कुलकानी । टेक...
विवेकी सन्त बसै जिस देश । टेक धनि वह गाँव ठाँव वह नगरी अघ न रहै...
विदेशी चलो अमरपुर देश । छाड़ो कपट कुटिल चतुराई छाड़ो यह परदेश । टेक छाड़ो काम...
वा दिन की कछु सुधि कर मन माँ । टेक जा दिन लै चलु लै चलु...
वृक्षन की मति ले रे मना । दृढ़ आसन मनसा नहिं डोलै सुमिरन में चित दे...
लागा मोरे बाण कठिन करका । टेक ज्ञान बाण धरि सद्गुरु मारा हिरदे माहिं समाना ।...
लगन लगाय कहँ जासी हो । टेक मूढ़ सुवा सेमर सेवा छोड़ दिया संग साथी हो...
लखे कोइ बिरला पद निर्बान । टेक तीन लोक में यह यमराजा चौथे लोक में राम...
रैन दिवस पिय संग रहत है मैं पापिन नहि जाना । टेक मात पिता घर जन्म...
रे सुख अब मोहि बिष भरि लागा ।१ इनि सुख डहके मोटेमोटे केतिक छत्रपति राजा ।...