प्रभुजी मैं अरज करुँ छूं म्हारो बेड़ो लगाज्यो पार।। इण भव में मैं दुख बहु पायो...

राम मिलण के काज सखी मेरे आरति उर में जागी री। तड़पततड़पत कल न परत है...

कोई कहियौ रे प्रभु आवनकी आवनकी मनभावन की। आप न आवै लिख नहिं भेजै बाण पड़ी...

सखी मेरी नींद नसानी हो। पिवको पंथ निहारत सिगरी रैण बिहानी हो। सखियन मिलकर सीख दई...

अब मैं सरण तिहारी जी मोहि राखौ कृपा निधान। अजामील अपराधी तारे तारे नीच सदान। जल...

तुम सुणो जी म्हारो अरजी। भवसागर में बही जात हूँ काढ़ो तो थारी मरजी। इण संसार...

प्रभु जी तुम दर्शन बिन मोय घड़ी चैन नहीं आवड़े।।टेक।। अन्न नहीं भावे नींद न आवे...

प्रभु सुम अरज हमारी आज सकल जगत के हो तुम स्वामी दीनबंधु महाराज ॥ टेक ॥...

प्रभु मेरी अरजी आज सुनो सब जग सर्जनहार ॥ टेक ॥ और न पालक मेरो स्वारथ...

प्रभु सुनले बिनतिया हमारी रे ॥ टेक ॥ भवसागर में डूब रहा हुं लीजिये बेग उबारी...

प्रभु तेरे चरण कमल बलिहार ॥ टेक ॥ तुम पितुमात विश्व विधाता सब जावन हितकार ॥...

मैं तो प्रभु तुझ चरनन का दास ॥ टेक ॥ दीनदयाल दया के सागर सकल भुवन...