Surrender
प्रभु सब में समाया है समाना हो तो ऐसा हो करी सब विश्व की रचना रचाना...
सदा शिव सर्व वारदाता दिगंबर हो तो ऐसा हो हरे सब दुख भक्तन के दयाकर हो...
राम दशरथ के घर जन्मे घराना हो तो ऐसा हो लोक दर्शन को चल आये सुहाना...
कृष्ण घर नंद के आये सितारा हो तो ऐसा हो करें सब प्रेम से दर्शन दुलारा...
अगर है प्रेम मिलने का तो दुनिया से क्यूं शरमावे पिता प्रहलाद को मारा नाम हरिका...
अगर है प्रेम दर्शन का भजन से प्रीत कर प्यारे छोड़कर काम दुनिया के रोक विषयों...
जाग जाग जाग मोह नींद से जरा भाग भाग भाग भोग जाल से परा टेक विषयों...
नाम नाम नाम जपो नाम राम का काम काम काम तजो काम धाम का टेक बिना...
मान मान मान कहा मान ले मेरा जान जान जान रूप जान ले मेरा टेक जाने...
अये दीन बंधु आज मेरी अरज सुन जरी दयानिधान जान आन शरण में पड़ी टेक काम...
बिना हरि के भजन मुफत जन्म गवाया दुनिया की मौज में फिरे सदा ही भुलाया टेक...
दो दिन का जग में मेला सब चलाचली का खेला टेक कोई चला गया कोई जावे...