हम ऐसे देश के वासी हैं जहाँ शोक नहीं और आह नहीं। जहाँ प्रेम की गंगा...

हे जान रे अपने को तू जान प्रभु तुझ में है तू उसमें है। दूर न...

सोई साध शिरोमणि गोविन्द गुण गाए। राम भजे विषया तजे आपा न जनाए। मिथ्या मूक बोले...

माया महाठगिनी हम जानी निर्गुण फांस लिये डोले बोले मधुरी बाणी। केसव के कमला होइ बैठी...

पाया नी पाया सजणा भेद पाया। आपे ही वसदा दिल विच आप ही नदरी आया। जोत...

प्रभु कर सब दुख दूर हमारे शरण पड़े हम दास तुम्हारे। सकल जगत तुमने उपजाया तुम...

प्रभु क्यों देर लगाते हो। जीवन की हर सांस तुम्हीं से आस तुम्हीं से प्यास तुम्हीं...