सतगुरु ने अलख लखाया है।
1. परम प्रकाश अखंड एकरस,
घट भीतर दर्शाया है।
2. अगम अपार अथाह अगोचर,
नेति नेति श्रुति गाया है।
3 . बीज मांहि अंकुर तरु शाखा,
फूल पत्र फल छाया है।
4. शब्द में अर्थ पदार्थ पद में,
स्वर में राग समाया है।
5. क्यों आतम ही है परमातम,
जीव ब्रह्म और माया है।
6. जप तप योग यज्ञ व्रत पूजा,
सब जंजाल छुड़ाया है।
7. अलखनंद गुरुदेव कृपा कर,
निज स्वरुप दर्शाया है।