घट का करो बिचार साधो घट का करो बिचार रे ॥ टेक ॥
घट में गंगा घट में जमुना तिरबेनी की धार रे
घट में नदियां पर्वत सागर घट में बागबहार रे ॥ १
घट में सूरज घटमें तारे घटमें चंद्र उजार रे
घटमें बिजली चमक सुहावे गरजत मेघ अपार रे ॥ २
घटमें तीनों देव बिराजे ब्रम्हा शम्भु मुरार रे
घटमें पूरण ब्रम्ह निरंजन सब जग सर्जनहार रे ॥ ३
जो ब्रम्हांडे सोई पिंडे मन में निश्चय धार रे
ब्रम्हानंद उलट सुरति को देखो सकल निहार रे ॥ ४