नज़र भर देखले मुझको शरण तेरी मैं आया हुं || एक ||
कोई माता पिता बंधु सहायक है नही मेरा
काम अरू क्रोध दुशमन से बहुत दिन से सताया हूँ ||
भुलाकर याद को तेरी पड़ा दुनिया की लालच में
माया के जाल में चारों तरफ से फसाया हुं ||
कर्म सब नीच है मेरे तुमारा नाम है पावन
तार संसार सागर से गहन जल में डुबाया हुं ||
छुड़ाकर जन्म बंधन से चरण में राख ले अपने
वो ब्रम्हानंद मैं मनमें ये ही आशा लगाया हुं ||