निरंजन माला घटमें फिरे दिनरात ॥ टेक ॥
ऊपर आवे नीचे जावे श्वास श्वास चल जात
संसारी नर समझे नाही बिरथा उमर बिहात ॥ १ ॥
सोहं मंत्र जपे नित प्राणी बिन जिब्हा बिन दांत
अष्ट पहर में सोवत जागत कबहुं न पलक रुकात ॥ २ ॥
हंसा सोहं सोहं हंसा बारबार उलटात
सतगुरु पूरा भेद बतावे निश्चल मन ठहरात ॥ ३ ॥
जो योगीजन ध्यान लगावे बैठ सदा परभात
ब्रम्हानंद मोक्षपद पावे फेर जन्म नहि आत ॥ ४ ॥
Niranjan maalaa ghatamein phire dinaraat ॥ Tek ॥
Oopar aave neeche jaave shvaas shvaas chal jaat
Sansaaree nar samajhe naahee birathaa umar bihaat ॥ 1 ॥
Soham mantra jape nit praanee bin jibhaa bin daant
Asht pahar mein sovat jaagat kabahun na palak rukaat ॥ 2 ॥
Hansaa soham soham hansaa baarabaar ulataat
Sataguru pooraa bhed bataave nishchal man thaharaat ॥ 3 ॥
Jo yogeejan dhyaan lagaave baith sadaa parabhaat
Bramhanand mokshapad paave pher janm nahi aat ॥ 4 ॥