गुरु गुरु गुरु करि मन मोर।।
गुरु बिना मैं नाही होर।।
गुरु की टेक रहहु दिनु राति।। जाकी कोइ न मेटै दाति।।
गुरु परमेसरु एको जाणु।। जो तिसु भावै सो परवाणु।।
गुर चरणी जा का मनु लागै।। दूखु दरदु भ्रमु ताका भागै।।
गुर की सेवा पाए मानु।। गुरु उपरि सदा कुरबानु।।
गुर का दरसनु देखि निहाल।। गुर के सेवक की पूरन घाल।।
गुर के सेवक को दुखु न बिआपै।। गुर का सेवकु दहदिसि जापै।।
गुर की महिमा कथनु न जाइ।। पारब्रहमु गुरु रहिआ समाइ।।
कहु नानक जा के पूरे भाग।। गुर चरणी ता का मनु लाग।।