जय शिव शंकर, हे प्रलयंकर, भवानी शंकर तुझे प्रणाम।
विश्वेश्वर है तुझे प्रणाम, सर्वेश्वर है तुझे प्रणाम।
1. तू ही सत-चित-आनंद है, तू ही मेरा आतम है,
तू ही जग में छाया है, दुनिया तेरी माया है।
जय शिव शंकर, हे प्रलयंकर - - -
निराकार ओंकार मूलं तुरीयं,
गिराज्ञान गोतीत मीशं गिरीशं।
2. सदगुरू दाता तू ही है, ज्ञान प्रदाता तू ही है,
तुझसे तुझको पायें हम, अपना भेद मिटायें हम।
जय शिव शंकर, हे प्रलयंकर - - -
3. तेरी कृपा में भीगें हम, भीग भीग कर तर जायें हम,
तुझमें मनवा खो जाये, तेरा ही बस हो जाये।
जय शिव शंकर, हे प्रलयंकर - - -