जीवन का सब शोर शराबा आखिर मुकना गंगा में।
1. बुलबुले-सा जीवन तेरा, कितना हिलता कितना डोले
करता कितना घोल घुमाटा, आखिर मुकना गंगा में।
2. दुनिया का सब झलक झंकारा, मन को कितना भरमाता,
आखिरकार मन ठंडा होता, जा के प्यारी गंगा में।
3. मन अपने की कभी न सुनना, चालू है भरमाता है,
अपनी करनी का फल पाए, जा के प्यारी गंगा में।
4. सद्गुरु द्वारे अलख जगा ले, मन में अपने प्रेम जगा ले,
सुन ले प्यारे मेरा कहना, आखिर जाना गंगा में।