हरि को भज ले प्राणी कहीं वक़्त टल न जाए कंचन सी तेरी काया मरघट में...

मुझे अपना जीवन बनाना न आया। रूठे प्रभु को मनाना न आया।। भटकती रही दुनिया वालों...

बहुत दिन बीते खबर मोरी ना लीनी रे। यमुना रोए गोकुल रोए रोए ब्रज की बाला...

बड़ा औखा प्रभु प्रेम वाला राह सोच के चल मन वे। जे है प्रभु दे मिलन...

हो जा खुशी से अपने भगवान के हवाले मर्जी पे छोड़ उसकी दाता जैसे भी वो...

नी मैं साई नाल अखियाँ लाईंया। साहिब मेरा अलख निरंजन तेरीयां बेपरवाईयां।। साहिब मेरा झोलियां भरदा...

नी माये जोगी बनन नूं जी करदा। कनीं मुंदरां मैं पंवा मत्थे तिलक लगावां पाके जोगी...

नी मैं जाना सांई दे नाल। या रब कैसा दिन है चढ़या मन मेरा सांई चरणां...

प्राणों से करते पूजा इस दिल में है न दूजा फिर समझ क्यों न आए मेरा...

की दम दा भरोसा यार दम आवे न आवे। आ रल मिल करिये याद दम आवे...

जोगीया जग है एक सराय। सदा रहा है कौन यहाँ पर इक आये इक जाये। छोड़...

तू अपना आप विचार बाहर क्या ढूँढे। तू ही गंगा तू ही जमुना तू ही निर्मल...