दो दिन खेल ले यह खेला, यह तो नदी नाव को मेला। टेक
कौड़ी कौड़ी माया जोड़ी, संग न जाय अधेला ।
और जनम बहुतेरे पाओ, मानुष जन्म दुहेला । १
मात पिता सुत कुटुम्ब कबीला, संग न जाये मेला ।
चार बेद षट शास्त्र पुकारें, संत न देहे हेला । २
यह जीवन तो चार दिनन का, अंत होइहैं ढेला ।
कहत कबीर सुनो भाई साधो, आई चलन की बेला । ३
Do din khel le yeh khela, yeh to nadi naav ko mela | tek
Kaudi-kaudi maya jodi, sang na jaye adhela
Aur janam bahutere pao, maanush janm duhela | 1
Maat pita sut kutumb kabila, sang na jaaye mela
Chaar bed shat shastra pukarein, sant na dehe hela | 2
Yeh jeevan to chaar dinan ka, ant hoihain dhela
Kahat kabir suno bhai saadho, aayi chalan ki be;a | 3