गगन की ओट निसाना है। टेक
दहिने सूर चंद्रमा बाँयें, तिनके बीच छिपाना है। १
तन की कमान सुरत का रोदा, शब्द बान ले ताना है। २
मारत बान बिधा तन ही तन, सद्गुरु का परवाना है। ३
मारयो बान घाव नहि तन में, जिन लागा तिन जाना है। ४
कहैं कबीर सुनो भाई साधो, जिन जाना तिन माना है। ५