गुरु से लगन कठिन है भाई।
लगन लगे बिन काज न सरिहैं, जिव परलय होय जाई। टेक
स्वाति बुंद को रटे पपीहा, पिया पिया रट लाई।
प्यासे प्राण जात हैं अबहिं, और नीर नहिं भाई। १

तजि घर द्वार सती होय निकली, सत्य करन को जाई।
पावक देखि डरे नहिं तनिको, कूदि परे हरषाई। २

दो दल आइ जुड़े रण सन्मुख, शूरा लेत लड़ाई।
टूक टूक होय गिरे धरनि ऐ, खेत छाड़ि नहि जाई। ३

मिरगा नाद शब्द के भेदी, शब्द सुनन को जाई।
सोई शब्द सुनि प्राण दान दे, नेक न मनहि डराई। ४

छाड़हु अपनी तन की आशा, निर्भय होय गुण गाई।
कहत कबीर सुनो भाई साधो, नहिं तो जनम नसाई। ५