मेरी लगन अब लागी है।
1. बंधन काटि किया गुरु मुक्ता, जरा मरण भ्रम भागी है।।
2. जब से दया भई सतगुरु की, लोक लाज कुल त्यागी है।।
3. गुरु की दया साधु की संगति, अमर लोक लौ लागी है।।
4. सुरति-निरति दोऊ भई मतवारी, प्रेम सुधारस पागी है।।
5. कहैं कबीर सुनो भाई साधो, राम भजे बड़भागी है।।
meree surati sohaagin jaag re.
1. Kaa sovai tu lobh moh mein, uṭh ke guru charaṇaon laag re..
2. Chit dai shravaṇ suno guru akṣar, uṭhat madhur dhun raag re..
3. Kaa tu aṭkee lobh moh mein, uṭh ke guru shabde laag re..
4. Kahain kabeer suno bhaaii saadho, jagat paraa yam jaal re..