आली रे मेरे नैणा बाण पड़ी। चित्त चढ़ो मेरे माधुरी मूरत उर बिच आन अड़ी। कब...

प्रभु जी थे कहाँ गया नेहड़ो लगाय। छोड़ गया बिस्वास संगाती प्रेम की बाती बलाय।। बिरह...

प्रभुजी मैं अरज करुँ छूं म्हारो बेड़ो लगाज्यो पार।। इण भव में मैं दुख बहु पायो...

हरि मेरे जीवन प्राण अधार। और आसरो नांही तुम बिन तीनू लोक मंझार।। आप बिना मोहि...

तनक हरि चितवौ जी मोरी ओर। हम चितवत तुम चितवत नाहीं मन के बड़े कठोर। मेरे...

मन रे पासि हरि के चरन। सुभग सीतल कमल कोमल त्रिविध ज्वाला हरन। जो चरन प्रह्लाद...

साधो हर में हरि को देखा । टेक आपै माल औ आप खजाना आपै खरचनवाला ।...

आन पड़ा चोरन के नगर सत्संग बिना जिय तरसे हो ॥ टेक   हरि सो हीरा...

क्रिया कर्म आचार मैं छाँड़ा छाँड़ा तीर्थ नहाना॥ सारी दुनिया भई सयानी मैं ही एक दीवाना॥...

हरितुम भक्तन के हितकार भवसागर जल दुस्तर भारी लीजे मुझे उबार ॥ टेक ॥ गज अरु...

मेरे मना अब तो सुमर हरिनाम ॥ टेक ॥ चौरासी लख जीव जून में नहि पायो...

तुमे है हरिशरण पड़े की लाज ॥ टेक ॥ मैं गुणहीन मलिन सदामति कैसे बने अब...